Sunday 8 December 2019

किसी के कांधे के दुपट्टे

किसी के कांधे के दुपट्टे,माथे की बिंदिया और आँख के काजल के लिए,
जिंदगी यूँ हीं गुजर जायेगी क्या एक पागल के लिए।

अपनी पसंद की छत भीगो लेना और बाकी सुखा छोड़ देना,
यह बात कहा अच्छी हैं यारों किसी बादल के लिए।

मैंने खुद अपने हाथ से तोड़ दिया मेरे सीने का वो पत्थर,
जब मालूम हुआ बना हीं नहीं कोई दिल मेरे इस दिल के लिए।

मैंने तुम्हारी खुशबू को भी जगह दी हैं मेरी ग़ज़लों में,
तुम्हें नहीं मालूम कितना मुश्किल हैं बांधना समन्दर को एक साहिल के लिए।

कोई हाथ पकड़कर नहीं पहुंचाता हैं 'बेख़ुद' मंजिल तक,
खुद ही बनाना पड़ता हैं रास्ता अपनी मंजिल के लिए।

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