Sunday 12 January 2020

उस लड़की का नाम परी हैं

तितली जैसी रंग बिरंगी,
बालों से वो लगती फिरंगी।
सोने के जैसे जो खरी हैं,
उस लड़की का नाम परी हैं।

इधर उधर फुदकती दिन भर,
खुशियाँ बांटती फिरती घर-घर।
जादू की जिसके पास छड़ी हैं,
उस लड़की का नाम परी हैं।

हैं सूरत उसकी कितनी प्यारी,
लगती हैं वो सबसे न्यारी।
जो थोड़ी सी बातूनी हैं,
उस लड़की का नाम परी हैं।

बातें उसकी मिश्री की डली हैं,
वो सब लोगों की लाड़ली हैं।
फूलों की जो छोटी सी लड़ी हैं,
उस लड़की का नाम परी हैं।

जितने भी आये हैं फटेहाल आये हैं

जितने भी आये हैं फटेहाल आये हैं,
इससे पहले भी तो कईं नये साल आये हैं।

जिनके दे चुके हैं जवाब हम कबके,
अब तुम्हारे ज़ेहन में वो सवाल आये हैं।

इस साल हमने भी लैला बदल डाली,
सहरा में जाके कर ये कमाल आये हैं।

हमसे अब और नहीं उठता ये वज़न,
सो तेरी यादों को दरिया में डाल आये हैं।

बचपना जिंदा रखना भी ज़रूरी हैं 'बेख़ुद'
सो हम मुठ्ठी भर रेत हवा में उछाल आये हैं।

~महेश कुमार बोस

भुला ना देना अपने किसी हिसाब में तुम मुझको

भुला ना देना अपने किसी हिसाब में तुम मुझको,
अपने ख्याल भेजना, जवाब में तुम मुझको।

तुम्हें नहीं होगी पसंद भले हीं सोहबत हम कांटों की,
दिखाई देती हो मगर हर एक गुलाब में तुम मुझको।

नींद अगर मुझे आ जाये तो बस ये कर लेना,
हौले से चूम लेना आकर ख्वाब में तुम मुझको।

तुम्हारी हीं खुशबू आती रहती हैं हर वक़्त इनसे,
आख़िर क्या डालकर देती हो किताब में तुम मुझको।

ये पिछले किसी जन्म की नेकियाँ काम आयी हैं,
कि मिली हो खुदा से खुद ख़िताब में तुम मुझको।

~महेश कुमार बोस

Saturday 11 January 2020

तेरी याद यूँहीं लिपटी रहेगी क्या जाल की तरह

तेरी याद यूँहीं लिपटी रहेगी क्या जाल की तरह,
ये साल भी गुजर जायेगा क्या पिछले साल की तरह।
जिसे तुम अपने लबों से लगाये रखती हो हर दम,
काश मेरे हाथ भी होतें तुम्हारे उस रूमाल की तरह।

हसीन चेहरों से अब खुद को बचाते हुयें चलेंगे

हसीन चेहरों से अब खुद को बचाते हुये चलेंगे,
अब तो तबस्सुम से भी खौफ़ खाते हुये चलेंगे।

उन्हीं लोगों ने बिछाये हैं मेरे पांव में कांटे,
जो मुझे कहते थें राह में फूल बिछाते हुये चलेंगे।

ये दुनिया ज़ालिम हैं सो हर वक्त होशियार रहना,
उन्हें हटा देगी रास्तें से जो घबराते हुये चलेंगे।

मेरे बटुवे में जब तक रहेंगी तेरी वो एक तस्वीर,
सारे फूल मेरे आगे हाथ फैलाते हुये चलेंगे।

अब अगर पलटकर देखों तो कोई नज़र नहीं आता,
जो कभी कहते थे कदम से कदम मिलाते हुये चलेंगे।

~महेश कुमार बोस