हसीन चेहरों से अब खुद को बचाते हुये चलेंगे,
अब तो तबस्सुम से भी खौफ़ खाते हुये चलेंगे।
उन्हीं लोगों ने बिछाये हैं मेरे पांव में कांटे,
जो मुझे कहते थें राह में फूल बिछाते हुये चलेंगे।
ये दुनिया ज़ालिम हैं सो हर वक्त होशियार रहना,
उन्हें हटा देगी रास्तें से जो घबराते हुये चलेंगे।
मेरे बटुवे में जब तक रहेंगी तेरी वो एक तस्वीर,
सारे फूल मेरे आगे हाथ फैलाते हुये चलेंगे।
अब अगर पलटकर देखों तो कोई नज़र नहीं आता,
जो कभी कहते थे कदम से कदम मिलाते हुये चलेंगे।
~महेश कुमार बोस
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