तेरी याद यूँहीं लिपटी रहेगी क्या जाल की तरह, ये साल भी गुजर जायेगा क्या पिछले साल की तरह। जिसे तुम अपने लबों से लगाये रखती हो हर दम, काश मेरे हाथ भी होतें तुम्हारे उस रूमाल की तरह।
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