बस आँखों पर मरता है
कितना पागल लड़का है
एक ज़रा सी बात पे ही
आप अभी तक गुस्सा है
दिल को है तकलीफ़ ज़रा
बाकी सब कुछ अच्छा है
मैंने सबसे पूछ लिया
हिज्र इश्क़ का बच्चा है
बातों में उसकी खो जाये
कितना अच्छा लहज़ा है
आपका ये शहर भी तो
मेरे शहर सा लगता है
तुमको ज़रा सा छू ले क्या
दिल ये हर पल बकता है
तेरी नज़र में है जादू
मुझको ऐसा लगता है
चलो कहीं पर चल आये
वक़्त पांव में चुभता है
माह के आख़िर में देखों
खाली बटुआ बचता है
मुझको कौन बतायेगा
आँसू कैसे बनता है
उसकी आँखें कैसे पढूं
वो नज़र झुकाकर चलता है
मेरे तो दो नाम है जी
बोलो जो अच्छा लगता है
मैंने वक्त से पूछा था
आपसे कम क्यों मिलता है
नींद भी कुछ रोज़ नहीं आती
इश्क़ में ये तो चलता है
#MaheshKumarbose
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