Sunday 24 November 2019

या तो दिल में तू अपने संभाल ले मुझको

या तो दिल में तू अपने संभाल ले मुझको।
या फिर हर एक किस्से से तू निकाल ले मुझको।

चित भी आया तो मैं तेरा,पट भी आया तो मैं तेरा,
भले सिक्का समझकर हवा में उछाल ले मुझको।

तुझसे लगकर महकता रहूँगा जब तक तू कहेगी,
अपने जिस्म पर इत्र समझकर डाल ले मुझको।

मैं तो पत्थर था तेरे छूने से ही तो मोम हुआ हूँ,
अब तेरी मर्जी किसी भी साँचे में ढ़ाल ले मुझको।

मैं बरसों से यहीं एक ख़िताब तो पाता रहा हूँ सबसे,
सो तू भी अब अपनी निगाहों से टाल ले मुझको।

~महेश कुमार बोस

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