Saturday 5 October 2019

खुद में खोकर खुद को पाना

खुद में खोकर खुद को पाना
कौन बड़ी फनकारी है।
तुझमें खोकर खुद को पाऊँ,
कुछ ऐसी जिद्द हमारी है।
रात भर तेरी यादों में सफर मेरा,
ख्वाब तेरे मेरी नींदो की सवारी है।
बाहर तो हैं सब खुला-खुला,
दिल के अंदर पर मारामारी है।
तुझ ही को चाहूँ, तुझ ही को पाऊँ,
आजकल मुझे ये अजब बीमारी है।
तुझको मैं कहकर जान पुकारूँ,
इतनी तो तुम पर मेरी हकदारी है।

~महेश कुमार बोस

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