ये सुनहरी शाम और ये जाती हुयी सूरज की धूप,
कितना खूबसूरत लगता हैैं प्रकृति का ये अनमोल रूप।
कितना खूबसूरत लगता हैैं प्रकृति का ये अनमोल रूप।
ये हवा की हसीन अदायें,
कितनी जचती हैं ये वादियों पे फिजायें।
ये कुदरत का नजारा मन मोह लेता हैैं
राह चलते मुसाफ़िरों के कदम,
निहारने के लिए रोक लेता हैं।
कितनी जचती हैं ये वादियों पे फिजायें।
ये कुदरत का नजारा मन मोह लेता हैैं
राह चलते मुसाफ़िरों के कदम,
निहारने के लिए रोक लेता हैं।
ये सूरज भी ना कितना इंतज़ार करवाता हैं,
मगर जब अपने घर वापस जाता हैं।
इस सुनहरी शाम की सौगात देकर जाता हैं,
ये पहर सबके मन को बहुत भाता हैं।
मगर जब अपने घर वापस जाता हैं।
इस सुनहरी शाम की सौगात देकर जाता हैं,
ये पहर सबके मन को बहुत भाता हैं।
इस सुनहरी शाम के नजारे को कैद करने,
कोई छत पर, कोई नदी तट पर,
कोई पर्वत पर, कोई उद्यान में जाता हैं,
ये मनमोहक नज़ारा मन को असीम सुख दिलाता हैं।
कोई छत पर, कोई नदी तट पर,
कोई पर्वत पर, कोई उद्यान में जाता हैं,
ये मनमोहक नज़ारा मन को असीम सुख दिलाता हैं।
~महेश कुमार बोस
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