Saturday 5 October 2019

जनाब सियासी भाषा मत बोलिए

जनाब सियासी भाषा मत बोलिए,
महज़ देने को दिलासा मत बोलिए।

बोलिये सच चाहें क्यों ना हो कड़वा,
मगर करने को तमाशा मत बोलिए।

बड़ी ज़िल्लते सहकर पायीं हैं खुद्दारी हमने,
चंद सिक्कों में हमारा जमीर मत तोलिये।

निकलेगे कई समन्दर इनके अंदर भी,
सलीके से कोई एक सीप तो खोलिये।

~महेश कुमार बोस

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