Monday 7 October 2019

कुछ नहीं कर सके ज़माने से बढ़कर जमाने में

कुछ नहीं कर सके ज़माने से बढ़कर ज़माने में,
ज़िंदगी गुजार दी हमने ज़िंदगी बनाने में।

~महेश कुमार बोस

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